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…जब आकाश में घटी एक अनोखी घटना तो सामने आया उडऩ तश्तरी का सच!

नई दिल्ली | कलम मेरी पहचान

बहुत दिनों से धरती से रेडियो तरंगें भी भेजी जा रही हैं ताकि अंतरिक्ष में कोई इंसानों जैसी बस्ती हो तो वो उन्हें सुनकर वे जवाब दे सकें।

Udan tashtari

नई दिल्ली। इंसान बरसों से परग्रहीय प्राणी एलियन की तलाश कर रहा है। कभी उसकी तलाश के लिए दूरबीन की मदद ली जाती है, तो कभी अंतरिक्ष में दूरबीन और यान भेजकर उसे तलाशा जाता है। बहुत दिनों से धरती से रेडियो तरंगें भी भेजी जा रही हैं ताकि अंतरिक्ष में कोई इंसानों जैसी बस्ती हो तो वो उन्हें सुनकर वे जवाब दे सकें। करीब सौ साल हो चुके जब से हम ब्रह्मांड में अपनी मौजूदगी के संदेश प्रसारित कर रहे हैं। पूरी दुनिया में इसी तरह से यूएफओ यानी उडऩ तश्तरी या एलियन के बारे में कहानियां, रिपोर्ट और शोध सामने आते रहे, मगर नतीजा सिफर रहा। मगर, कुछ तो है जिससे इंसान की रुचि इसमें बढ़ती ही जा रही है। आइए डालते हैं इसी पर एक नजर…

क्या होती है उडऩ तश्तरी?

अनआईडेंटीफाई फ्लाइंग ऑब्जेक्ट (यूएफओ) या उडऩ तश्तरी आकाश में उड़ती किसी अज्ञात वस्तु को कहा जाता है। इन अज्ञात उड़ती वस्तुओं का आकार किसी तश्तरी के समान होता है या ऐसा दिखाई देता है, जिस कारण इन्हें उडऩ तश्तरियों का नाम मिला। ये उडऩ तश्तरी बहुत छोटे से लेकर बहुत विशाल आकार तक हो सकतीं हैं।

कैसे हुई शुरुआत?

9 दिसंबर, 1965 में अमरीका के आकाश में एक ऐसी ही घटना घटी थी। अमरीका का पेंसिलवेनिया राज्य के पीट्सबर्ग शहर से 40 मील दूर दक्षिण पूर्व में केक्सबर्ग के जंगलों के उपर एक अनजानी चीज काफी देर तक मंडराती रही। इस अनजानी चीज में भयंकर विस्फोट हुआ। आसपास का इलाका हिल उठा। अमरीकी एयरफोर्स ने इसे उल्का पिंड करार दिया, मगर बाद में उडऩ तश्तरी की थ्योरी सामने आई।

सबसे पहले कब आया ये शब्द?

उडऩ तश्तरी या फ्लाइंग सॉसर शब्द चलन में तब आया था, जब 24 जून, 1947 में अमरीकी पायलट केनेथ अर्नाल्ड ने वॉशिंगटन में 9 अजीब आकृतियों को हवा में उड़ते हुए देखा था। अर्नाल्ड ने कहा कि ये आकृतियां समुद्र की लहरों में एक तश्तरी की तरह हिल रही थीं।

किस घटना ने दुनिया को चौंकाया?

40 साल पहले फरवरी 1977 को वेल्स के पेमब्रोकशायर में ब्रॉड हैवेन प्राइमरी स्कूल के बच्चों को अपने स्कूल परिसर में कुछ रहस्यमयी नजारा दिखा था, जिसे देखकर बच्चे हैरान रह गए थे। हेडमास्टर ने बच्चों से कहा कि उन्होंने जो चीज देखी है, उसकी तस्वीर बनाएं। 10 साल के बच्चे ने फिर जो तस्वीर बनाई, उसे देखकर सभी लोग हैरान रह गए। बच्चे ने जो बनाया था, वह था एक लंबे और विशालकाय सिगार की आकृति की कोई वस्तु, जो चमकती या पारदर्शी गुंबदनुमा चीज से ढकी हुई थी। इस बात के मीडिया में आने के बाद से यूएफओ या उडऩ तश्तरी की कहानी चल निकली। कई बार वेल्स के अखबारों में उडऩतश्तरियों के दिखाई देने की कहानियां छपने लगीं।

विज्ञान क्या कहता है?

विज्ञान परग्रहीय प्राणी एलियंस की मौजूदगी की संभावना से इनकार नहीं करता। अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा समेत दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने एलियंस और उडऩतश्तरी की संभावना पर काम कर रहे हैं। 16 नवंबर 1974 में नासा के वैज्ञानिक कार्ल सगन की टीम ने एम-13 स्टार क्लस्टर की ओर रेडियो तरंगें भेजी थीं।

हॉकिंग भी क्या खोज में?

लिसेन प्रोजेक्ट मशहूर विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग व रूसी अरबपति यूरी मिलनर का संयुक्त प्रोजेक्ट है। 2015 में शुरू हुए इस 10 साल तक चलने वाले इस अभियान में पृथ्वी के करीब स्थित लाखों तारों से आने वाले सिग्नलों को सुना जाएगा। अब स्टीफन हॉकिंग ने भी अब यह मान लिया है कि एलियंस की मौजूदगी हो सकती है।

क्या पेंटागन का कोई प्रोग्राम?

पेंटागन यूएफओ की जांच के लिए लाखों डॉलर का गुप्त कार्यक्रम चला रहा था। बताया जा रहा है कि अमरीकी रक्षा विभाग के मुख्यालय में 2007 में शुरू हुए और 2012 में बंद कर दिए गए इस कार्यक्रम की जानकारी कम अफसरों को थी। एडवांस्ड एरोस्पेस थ्रेट आइडेंटिफिकेशन नाम के इस प्रोग्राम पर 128 करोड़ खर्च हुए।

बीते साल कौन सी रहस्यमयी वस्तु गुजरी थी?

बीते साल अक्टूबर में सिगार के आकार का एक रहस्यमयी वस्तु ऑब्जेक्ट अक्टूबर में धरती के नजदीक से गुजरा था। ओमुआमुआ नाम का यह ऑब्जेक्ट ज्यादातर वैज्ञानिकों के लिए ऐसा पहला उल्का पिंड है जो किसी दूसरी आकाशगंगा से हमारे सौरमंडल में बहुत तेजी से दाखिल हुआ। यह धरती के नजदीक से होता हुआ हमारे सौरमंडल से बाहर जा रहा है।

क्या है यूएस का एरिया 51?

एलियंस की मौजूदगी को लेकर अमरीका के एरिया-51 में लंबे समय से शोध जारी है। लास वेगास के पास स्थित एरिया 51 ऐसी जगह है, जहां माना जाता है कि यहां दूसरे ग्रहों से आए एलियंस पर शोध किया जाता है। लोगों ने तो यहां तक दावा किया है कि उन्होंने कई बार यूएफओ को वहां उड़ते देखा है।

किसने बदली दुनिया?

दुनिया की पहली सबसे बड़ी घटना जिसका बड़े पैमाने पर टीवी पर प्रसारण हुआ था, वो 1936 में बर्लिन में हुए ओलंपिक खेल थे। पहली बार इतने व्यापक तौर पर रेडियो तरंगों का इस्तेमाल करके दुनियाभर में किसी कार्यक्रम का प्रसारण हुआ था। यह सबके लिए अनोखा था।

कौन सी प्रमुख संस्थाएं जुड़ी हैं?

अंतरिक्ष में एलियन की तलाश में वैसे तो दुनियाभर में कई संस्थाएं जुटी हैं। मगर, इनमें से चर्चित हैं- सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस (सेटी), डिस्क्लोजर प्रोजेक्ट, द एथेरियस सोसाइटी और कॉस्मोपोइस्क।

क्या एआई की भी मदद?

इस साल की शुरुआत में ही अमरीका के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने ऐलान किया है कि अब एलियंस की तलाश बस कुछ वक्तकी ही बात है। अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की मदद से एलियंस के वजूद की तलाश होगी। ये उन 3000 ग्रहों में से हो सकते हैं, जो हमारे सौर मंडल के बाहर के हैं। नासा ने इसका ऐलान भी किया था।

भारत में एलियन के दावे…

2010 में जम्मू और कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में उडऩे वाली अनजान वस्तुओं (यूएफओ) के देखे जाने की खबर आई थी। एक ताड़पत्र की खुदाई के बाद उसपर बनाई तस्वीरों से पता चला कि 1947 में भारत के आजाद होने से कुछ माह पहले ही एक यूएफओ को ओडिशा के नयागढ़ जिला में उतरते देखे जाने की बात कही गई थी। नर्मदा और बस्तर के क्षेत्रों में भी आने की बातें कहीं गईं। भोपाल, लखनऊ में भी उडऩ तश्तरी जैसी चीज दिखाई देने की अफवाहें उडने की बात सामने आई थी।

Kalam Meri Pehchan

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