हेमन्त व्यास दैनिक कलम मेरी पहचान
आज से ज्यादा पीछे न जाते हुए सिर्फ 40-50 वर्ष हम पीछे जाते हैं हमारे पूर्वज जो इस दुनिया में नही है ,वह ओर जो आज जीवित हैं बताते है कि हमारे समय मे उस व्यक्ति ने स्वेच्छा से मंदिर के लिए 50 बीघा जमीन दी फलाने व्यक्ति ने 100 बीघा जमीन दी ऐसा वास्तव में दान हमारे पूर्वज करते आये हैं चलो दान धर्म के नाम पर भगवान के नाम से जो दान हो जाये करते जाएं, लेकिन आज कुछ मंदिर के पुजारियों ने मंदिर की भूदान की जमीन को ऐसे बेच दिया जैसे इनके पिताजी इन्हें वसीयत करा गए हों, शर्म आनी चाहिए इन लोगों को आज जितने भी मंडलेश्वर उजारि पुजारी बने बैठें है सभी तो नही कुछ तथाकथित पुजारियों ने मंदिर और भगवा की आड़ में जमीनों को ठिकाने लगाने का कार्य काफी समय से उठा रखा है यह आपस मे ही स्वयंभू घोषित मण्डलेशर बन जाते हैं और आपस मे ही पद बांट लेते हैं तू फलाना अध्यक्ष में फलाना अध्यक्ष ओर इनका धर्म पूजा पाठ से कोई लेना देना नही इन्हें तो प्रोपर्टी डीलर ओर भूमाफिया बनना है,माफी चाहेंगे बनना नही बन गए लिखना ही ठीक रहेगा ।। आज खेड़ापति मंदिर को ही उठाकर देख लो उसकी बेशकीमती जमीन को उसके ही विवादित पुजारी ने ठिकाने लगा दिया , सरवती बाई मंदिर की ज़मीन , सिद्धेश्वर मंदिर की ज़मीन , कथा मिल के सामने हनुमान मंदिर की ज़मीन सभी मंदिरों की ज़मीन पुज़ारियो ने ही बंदर बाट कर बेच डाली एक ओर दिलचस्पी वाली बात सूत्रों से प्राप्त हुई कि यह जिसे यह जमीन दिलाते हैं उसी में अपनी फिर से हिस्सेदारी रखते हैं और स्वयं के लिए दुकाने या कुछ जमीन छुड़वा लेते हैं,ओर खरीदने वाला भी करोड़ों की जमीन में से इन्हें कुछ टुकड़े डालने में भी परहेज नही करते ।।
विचारणीय विषय यह है कि सारे विवादित प्रकरण प्रशासन की नजर में रहते हैं ,ओर कब वह विवादित से अविवादित हो जाता है इसकी भनक शासन प्रशासन को नही लगती क्या , या यूं कहें कि शहर की समस्त भूदान की जमीन ओर सरकारी विवादित जमीनें नाले नालियों की रजिस्ट्रियां अन्य किसी पर्सनल रजिस्टार ऑफिस में होती हैं जंहा सिर्फ और सिर्फ फर्जीवाड़े वाले कार्य होते हैं , संदेह तो बनता है ,कैसे अधिकारी पटवारी ,बगैराहों को भनक नही लगती कि सरकारी व भूदान की जमीनों की रजिस्ट्रियां हो जाती हैं लोग उस पर पक्के पक्के निर्माण कर लेते हैं ओर शासन प्रशासन रजाई ओढ़ कर सोता रहता है ।
प्रश्न तो यंहा भी उठता है कि जब भारत भूमि को संतों की भूमि माना जाता है परंतु आज के वर्तमान दृश्य में काम एवं भोग विलास स्मैक मैं व्यस्त संत समाज । नरवर में हुई संत की निर्मम हत्या पर जिले के किसी भी संत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी क्योंकि इन संतों को इन भूमाफियाओं को केवल अपनी भोग विलासिता स्मैक ,गांजा, चरस से मतलब है ना कि किसी समाज के किसी संत के दुख से, भोग विलासित में लिप्त संत समाज किस दिशा में जा रहा है कोई 376 तो कोई 377 क्या संतों का यही आचरण है ऐसे दृश्यों को देखकर के इन मंडलेश्वर एवं संतों से विश्वास उठता जा रहा है , अभी कुछ दिन ही पूर्व एक पाखंडी जो अपने आपको बहुत बड़ा संत और भाटी सरकार के नाम से अपनी अलग ही राग गा रहा था, एक दिव्यांग बेटी के साथ कुकर्म करके झोला उठा कर निकल लिया कैसे इन लोगों पर विश्वास करें कि कौन सच्चा संत है कौन पाखंडी ढोंगी है । महामंडलेश्वर पुरषोत्तम जी के साथ इनोवा कार से फोटो खिंचवाते हुए 377 के आरोपी महंत जी और महामंडलेश्वर पुरषोत्तम जी के साथ फोटो निकलवाते हुए 376 के आरोपी भाटी सरकार वाले फर्जी संत और महामंडलेश्वर जी के ही कृपा पात्र लक्ष्मण त्यागी खेड़ापति मंदिर के पुजारी जिसने पूरे खेड़ापति मंदिर की जमीन ठिकाने लगा दी अब स्वयं विचार करें कि ये कैसे संत हैं ।
सच्चे संत की पहचान है गीता जी मे 15वें अध्याय के 1 से लेकर 4 श्लोक तक उल्टे लटके हुए संसार रूपी वृक्ष की जड़ से लेकर तना तक कि व्याख्या कर देगा वह पूर्ण संत होगा, सच्चा संत सभी शास्त्रों का ज्ञाता होता है । उसे कुरान का बाइबिल, चारों वेदों का पुराणों का ज्ञान होगा वह पूर्ण संत होगा ,ऐसा एक पुस्तक “ज्ञान गंगा” में वर्णित है जिससे यह उदहारण दिया है !
दैनिक कलम मेरी पहचान इसकी पुष्टि नही करता । शिवपुरी के एक मण्डलेशर ओर एक बहुत बड़े चर्चित पंडित जी की ऑडियो दैनिक कलम मेरी पहचान के पास सुरक्षित है जिसमे एक स्वयम्भू मण्डलेशर ओर एक चर्चित हनुमान मंदिर के पुजारी जी मे पद प्रतिष्ठा की बहस छिड़ी हुई है । समयनुसार यदि देनी पड़ती है तो दे दी जाएगी ।