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Insurance Claim Mistakes: ये गलतियां बीमा क्‍लेम में बनती हैं दिक्‍कत, अभी सुधार लें भूल

कलम मेरी पहचान l

Insurance Claim Mistakes : जीवन बीमा लेने जा रहे हैं तो इसका फार्म सावधानी से पढ़ें और भरें। यह काम बहुत ही जरूरी होता है। कई बार मामूली सी गलत जानकारी बाद में क्‍लेम में दिक्‍कत पैदा कर सकती है।

टर्म प्‍लान जैसे बीमा उत्पाद परिवार को वित्‍तीय सुरक्षा देने के लिए जानें जाते हैं, लेकिन कोई भी मामूली सी चूक परिवार को संकट में डाल सकती है। अक्‍सर ऐसी गलती करने के लिए बीमा एजेंट प्रेरित करते हैं। उनका तर्क होता है कि इससे प्रीमियम बच सकता है, लेकिन जानकारों की सलाह है कि ऐसा नहीं करना चाहिए। उनके अनुसार या तो खुद फार्म भरें या एजेंट जब फार्म भरे तो बाद में ध्‍यान से चेक करें, नहीं तो बीमा का क्‍लेम रिजेक्‍ट हो सकता है।

इन सवालों का मिलेगा यहां जबाव

• क्‍या हैं बीमा क्‍लेम न मिलने के मुख्‍य कारण

• क्‍यों रिजेक्‍ट होता है।बीमा का क्‍लेम

• बीमा लेने में किन गलतियों से बचें

• बीमा लेने में कौन सी होती हैं गलतियां

• कैसे लें सही बीमा प्‍लान

• बीमा क्‍लेम रिजेक्‍ट होने के कॉमन कारण

बीमा के ढेरों दावे हो रहे रिजेक्‍ट

बीमा नियामक प्राधिकरण (इरडा) हर साल बीमा दावों के रिजेक्‍ट होने के आंकड़े जारी करता है। हर साल बीमा कंपनियों के पास लाखों दावे आते हैं। इरडा के आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि हर साल कई हजार बीमा दावे रिजेक्‍ट हो जाते हैं। कई बार यह दावे मामूली सी चूक के चलते रिजेक्‍ट होते हैं।

इन गलतियों से बचने का ये है तरीका

बीमा कराते वक्‍त कंपनियां कई जानकारी मांगती हैं। इन जानकारियों को पूरी तरह से नहीं देने के चलते बाद में अक्‍सर बीमा क्‍लेम रिजेक्‍ट होते हैं। ऐसे में जरूरी है कि बीमा होने के बाद जैसे ही पॉलिसी मिले उसे ध्‍यान से पढ़ें। अगर कहीं भी कमी नजर आए तो बीमा कंपनी को उसे वापस करते हुए उसमें सुधारने को कहें। बीमा कंपनियों नियम के तहत 15 दिन का फ्री लुक पीरियड देती हैं। इन 15 दिनों में लोगों के पास इसे सुधरवाने के अलावा बीमा नहीं लेने का भी विकल्‍प होता है।

बीमा कराते वक्त सबसे पहले ध्‍यान रखने लायक बात

बीमा कराते वक्‍त सबसे जरूरी होता है कि परिवार की सेहत की सही जानकारी कंपनी को दें। परिवार की सेहत की सही जानकारी कंपनियां चाहती हैं। कंपनियां जानना चाहती हैं कि कहीं बीमा कराने वाले के परिवार में किसी को ऐसी कोई बीमारी की हिस्‍ट्री तो नहीं है, जो वंशागत कहलाती है। अगर ऐसा है तो सही जानकारी देने पर भी बीमा कंपनियां पॉलिसी देती हैं, लेकिन प्रीमियम थोड़ा ज्‍यादा लेती है। लेकिन बताने से फायदा यह होता है कि अगर कभी क्‍लेम की जरूरत पड़ी तो दिक्‍कत नहीं आती है।:

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अब जानें बीमा कराते वक्त होने वाली वो 6 बड़ी गलतियां जो लोग अनजाने में करते हैं

अपनी सेहत की भी सही जानकारी दें: बीमा कंपनियां आपकी सेहत की भी सही सही जानकारी चाहती हैं। अगर कोई बीमारी है तो उसे फार्म में जरूर लिखना चाहिए। आमतौर पर लोग जिन बातों को छोटा समझते हैं, वह बाद में बड़ी बन जाती हैं। इसलिए छोटी से छोटी से बात बीमा कंपनी को जरूर बताना चाहिए। अगर कुछ बीमारी होगी तो भी बीमा कंपनी बीमा देती हैं, हालांकि वह ऐसी स्थिति में थोड़ा ज्‍यादा प्रीमियम ले सकती हैं। ऐसा करने से बीमा क्‍लेम रिजेक्‍ट नहीं होगा।

काम और आमदनी की दें सही जानकारी: बीमा पॉलिसी लेते वक्‍त अपने काम की सही जानकारी देना चाहिए। इसके अलावा आमदनी के बारे में भी सही-सही बताना चाहिए। कई बार लोग ज्‍यादा वैल्‍यू का बीमा लेने के लिए अपनी आमदनी की गलत जानकारी दे देते हैं। अगर कभी क्‍लेम की नौबत आती है तो ऐसी गलत जानकारी रिजेक्‍ट होने का कारण बन सकती है।

प्रीमियम का भुगतान समय से करें: जीवन में हादसा कब हो जाए यह किसी को नहीं पता होता है और बीमा लिया भी इसीलिए जाता है कि वह ऐसी दिक्‍कतों के वक्‍त परिवार की मदद हो। इसलिए जरूरी है कि प्रीमियम का भुगतान समय से किया जाए। क्‍योंकि अगर बीमा की प्रीमियम देने में एक दिन से भी चूक गए हैं और इंश्‍योरेंस क्‍लेम की नौबत आती है तो बीमा कंपनी पैसों के भुगतान करने से मना कर सकती हैं। आमतौर पर बीमा कंपनियां एक माह का समय देती हैं, लेकिन सबसे अच्‍छा तरीका है कि इस माह का इंतजार न किया जाए और प्रीमियम का भुगतान एक-दो दिन पहले कर दिया जाए।

कितना लेना चाहिए टर्म प्‍लान: आमतौर पर इंश्‍योरेंस सेक्‍टर के जानकार कहते हैं कि लाेगों को अपनी सालाना आमदनी का 15 गुना तक बीमा कवर जरूर लेना चाहिए। लेकिन इन जानकारों का कहना है कि जरूरत से बहुत ज्‍यादा बीमा भी कंपनियों के लिए शक का कारण बनता है। अगर आपकी वाषिक आमदनी 7 लाख रुपये है तो आपको 1 करोड़ रुपये के आसपास का बीमा लेना चाहिए। इसलिए बीमा लेते वक्‍त कंपनी को भरोसे में लेकर अपनी जरूरत के मु‍ताबिक टर्म प्‍लान लेना चाहिए।

पता और संपर्क का नंबर बदलते ही पॉलिसी में कराएं अपडेट: बीमा पॉलिसी काफी लंबे वक्‍त के लिए होती है। इस बीच कई बार आपका पता बदल सकता है और फोन नबंर भी। इसलिए जैसे ही यह बदलाव हों आप अपनी बीमा पॉलिसी में जरूरी दर्ज करा लें। इससे बाद में इंश्‍योरेंस क्‍लेम लेने में आसानी रहती हैं l

बीमा कंपनियां भी पॉलिसी को लेकर समय समय पर जानकारी देती है, अगर पता अपडेट नहीं होगा तो यह सूचनाएं बीमा कराने वालों को नहीं मिल सकेंगी।

नॉमिनी का कॉलम ध्‍यान से भरें: बीमा कराते वक्‍त कंपनियां नॉमिनी के बारे में पूछती हैं। इस कॉलम को ध्‍यान से भरना चाहिए। क्‍योंकि किसी भी तरह के हादसे के बाद बीमा कंपनी पैसा उसी को देती हैं, जिनका नाम नॉमिनी के कॉलम में लिखा होता है। बीमा कंपनियां यह विकल्‍प भी देती हैं कि आप नॉमिनी को बदल सकें। अगर आपको लगता है कि नॉमिनी को बदलना है, तो इसकी पूरी प्रक्रिया अपनानी चाहिए।

यह कारण भी बीमा क्‍लेम रिजेक्‍ट होने का कारण बन सकता है।:

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