क्या आप जानते हैं भारत की आजादी के लिए 15 अगस्त का ही दिन क्यों चुना गया?
भारत को आजादी 15 अगस्त 1947 के दिन मिली थी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आजादी के लिए 15 अगस्त का दिन ही क्यों चुना गया था? जानिए इस तारीख का इतिहास क्या था.
देश की आजादी। कलम मेरी पहचान
देशभर में इस बार भारत 15 अगस्त 2024 के दिन अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. देशभर में आजादी का जश्न पूरे देश में धूम-धाम से मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि साल 1947 के समय आजादी के लिए 15 अगस्त का ही दिन क्यों सुना गया था. आज हम आपको 15 अगस्त चुनने के पीछे की वजह बताएंगे.
आजादी
भारत को आधिकारिक रूप से 15 अगस्त 1947 के दिन आजादी मिली थी. इस बार पूरा देश आजादी का 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. लेकिन अब सवाल ये है कि आखिर आजादी के लिए 15 अगस्त का दिन ही क्यों चुना गया था.
15 अगस्त को ही क्यों मनाते हैं स्वतंत्रता दिवस?
ब्रिटिश शासन के मुताबिक भारत को 30 जून 1948 को आजादी दी जाने वाली थी, लेकिन उसी समय नेहरू और जिन्ना के बीच भारत और पाकिस्तान के बंटवारा एक बड़ा मुद्दा बन गया था. जिन्ना के पाकिस्तान की मांग को लेकर लोगों में सांप्रदायिक झगड़े की संभावना बनते देखकर भारत को 15 अगस्त 1947 को ही आजादी देने का फैसला लिया गया था. इसके लिए 4 जुलाई 1947 को माउण्टबेटन द्वारा ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में इंडियन इंडिपेंडेंस बिल पेश किया गया था. इस बिल को ब्रिटिश संसद द्वारा तुरंत मंजूरी दे दी गई और 15 अगस्त 1947 के दिन भारत को आजादी देने की घोषणा कर दी गई थी.
15 अगस्त का ही दिन क्यों
भारत के आखिरी वायसराय लार्ड माउण्टबेटन की जिंदगी में 15 अगस्त का दिन बहुत ही खास था. दरअसल 15 अगस्त, 1945 के दिन द्वितीय विश्र्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश के सामने जापानी आर्मी ने आत्मसमर्पण किया था. उस समय ब्रिटिश की सेना में लार्ड माउण्टबेटन अलाइड फोर्सेज़ में कमांडर थे. जापानी सेना के आत्मसमर्पण का पूरा श्रेय माउण्टबेटन को दिया गया था, तो माउण्टबेटन 15 अगस्त को अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन मानते थे. इसलिए उन्होंने 15 अगस्त का दिन भारत की आजादी के लिए चुना था.
आजादी में क्यों नहीं शामिल हुए महात्मा गांधी
15 अगस्त 1947 के दिन महात्मा गांधी आजादी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे. आजादी के वक्त जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गांधी को पत्र भेजकर स्वाधीनता दिवस पर आशीर्वाद देने के लिए बुलाया था. लेकिन पत्र के जवाब में महात्मा गांधी जी ने कहा था कि जब देश में सांप्रदायिक दंगे हो रहे हैं, ऐसी स्थिति में वो कैसे आजादी के जश्न में शामिल नहीं हो सकते हैं. अपने पत्र में उस समय महात्मा गांधी ने कहा था कि मैं 15 अगस्त पर खुश नहीं हो सकता. मैं आपको धोखा नहीं देना चाहता, मगर इसके साथ ही मैं ये नहीं कहूंगा कि आप भी खुशी ना मनाएं. उन्होंने कहा था कि दुर्भाग्य से आज हमें जिस तरह आजादी मिली है, उसमें भारत-पाकिस्तान के बीच भविष्य के संघर्ष के बीज भी हैं. मेरे लिए आजादी की घोषणा की तुलना में हिंदू-मुस्लिमों के बीच शांति अधिक महत्वपूर्ण है.