उपपंजीयक कार्यालय भ्रष्टाचार का गढ़
नसरूल्लागंज से पत्रकार अनीस खान म.प्र. ब्यूरो चीफ कलम मेरी पहचान
पत्रकार घनश्याम शर्मा की खबर
उपपंजीयक कार्यालय भ्रष्टाचार का गढ़
प्रभारी उपपंजीयक कर रहे मनमानी
सर्विस प्रोवाइडरों की मिलीभगत से उपपंजीयक कार्यालय में हो रहा है जमकर
भ्रष्टाचार !
पांच साल से लिपिक बने हुए हैं प्रभारी
शासकीय जमीनों की रजिस्ट्री भी कर डाली।
नसरूल्लागंज — पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केेेे गृह विधानसभा नसरूलागंज में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंच चुकाहै। नगर के तहसील कार्यालय में स्थित उपपंजीयक कार्यालय जहां पांच वर्षों से कोई सब रजिस्ट्रार नहीं है जिनका प्रभार सीहोर जिले के पंजीयन विभाग के लिपिक ( रिकार्ड मोहर्रिर ) संभाले हुए हैं जबकि यहां एक सब रजिस्ट्रार को होना चाहिए। नतीजन आम उपभोक्ता ठगी और शोषण का शिकार हो रहे हैं।
इन महाशय ने शासकीय भूमि अर्थात नुज़ूल की भूमि की रजिस्ट्रियां भी कर डाली है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक
उप पंजीयक कार्यालय नसरुल्लागंज में किस तरह भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंच चुका है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उपपंजीयक कार्यालय में पदस्थ उपपंजीयक राजू मंसोरे गाड़ी से अप डाउन करते हैं जबकि शासन द्वारा इन्हें कोई गाड़ी उपलब्ध नहीं कराई गई है। सर्विस प्रोवाइडरो के माध्यम से उपपंजीयक गाड़ी का खर्च उपभोक्ताओं से वसूलते है।
शोषण का शिकार हो चुके उपभोक्ताओ ने बताया कि
हमसे रजिस्ट्री जल्दी करवाने के लिए साहब की गाड़ी का किराया और उपपंजीयक की सुविधा शुल्क के नाम पर तीन से पांच हजार रुपए तक वसूल किए गए।
यानि लगभग एक रजिस्ट्री पर उपभोक्ताओं को 3000 से 5000 तक अतिरिक्त चुकाने पड़ रहे। इसके अतिरिक्त और भी अन्य चार्ज सर्विस प्रोवाइडर के द्वारा उपभोक्ताओं से लिए जाते हैं। इतना ही नहीं कितने ही लोग ऐसे हैं जो एक । छोटे से प्लाट की रजिस्ट्री के भी 3000 रुपए अतिरिक्त चुका चुके हैं।
पूर्व में इसी कार्यालय में पदस्थ तत्कालीन उप पंजीयक भी रिश्वत लेते हुए रखा चुके हैं । उपपंजीयक कार्यालय तहसील प्रांगण में है जहां का भ्रष्टाचार नगर में चर्चा का बिषय बना हुआ है।
अब रिश्वत सीधे नहीं सर्विस प्रोवाइडर यानि रजिस्ट्री कराने वाले वेंडर अपने चार्ज में जोड लेता है।
रजिस्ट्री की नकल की भी लगती है रिश्वत
इतना ही नहीं साहब यदि आपको रजिस्ट्री की नकल की आवश्यकता है तो वो भी मामूली खर्च पर नहीं मिलेगी उसके लिए भी आपको पूरे दो हजार तक के रुपए की राशि रिश्वत के तौर पर उपपंजीयक को देना पड़ती है । उपपंजीयक के माध्यम से होने वाले समस्त कार्य बगैर दक्षिणा दिए नहीं होते और यह सर्विस प्रोवाइडर्स की मिलीभगत से तय होती है।
सर्विस प्रोवाइडरों के सहारे चल रहा उपपंजीयक कार्यालय —
शासन को करोड़ों रूपए का राजस्व देने वाले नसरूल्लागंज-भैरूंदा क्षेत्र के उपभोक्ताओं को इस कार्यालय में पानी तक नसीब नहीं होता है।
कार्यालय में एक मात्र प्रभारी उपपंजीयक राजू मंसोरै है यदि कोई व्यक्ति बगैर स्टांप वेंडरों के रजिस्ट्री कराना चाहे तो यहां यह संभव ही नहीं।
जबकि यहां कम से कम चार लोगों का स्टाफ होना चाहिए।
उपपंजीयक कार्यालय के सारे कार्य सर्विस प्रोवाइडरों के सहारे होते हैं
सर्विस प्रोवाइडर्स कहते हैं हमारी मजबूरी है यदि हम ऐसा नहीं करें तो हम उपभोक्ताओं को समय पर सर्विस नहीं दे सकते।
कितने ही अवैधानिक काम सर्विस प्रोवाइडर की मिलीभगत से किए जा रहे हैं यह कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगी की उपपंजीयक कार्यालय सर्विस प्रोवाइडर की मिलीभगत से ही संचालित होता है।
अवैध कालोनियों की भी रजिस्ट्री
अवैध कालोनियों की भरमार भरमार के चलते कालोनाइजर छोटे गरीब वर्ग के लोगों को इन अवैध कालोनियों में सर्व सुविधा का हवाला देकर फंसाने का काम करते हैं।
और भोले-भाले लोग मेहनत की गाड़ी कमाई का पैसा इनमें उलझा रहे हैं।
और उपपंजीयक इन अवैध कालोनियों की रजिस्ट्री भी धड़ल्ले से कर रहे हैं।
मौका मुआयना करें बगैर होती है रजिस्ट्रियां
उपपंजीयक जो सर्विस प्रोवाइडर के इशारों पर चलते हैं जिस जगह की रजिस्ट्री की जाना है उसका मौका मुआयना भी नहीं करते जिससे संबंधित प्लाट या भूमि की वस्तु स्थिति सामने नहीं आ पाती।और जहां राजस्व की हानि हो रही है वहीं लोग ठगी का शिकार भी हो रहे हैं ।
प्रति दिन होने वाली रजिस्ट्रियां की संख्या के हिसाब से इनकी आमदनी का आंकलन सहज ही किया जा सकता है।
अवैध कालोनियों के नामांतरण में मुश्किल
अवैध कालोनियों में धड़ल्ले से बिक रहे प्लाटों के मालिक जैसे तैसे पैसा कर इन अवैध कालोनियों में प्लाट खरीदने के बाद रजिस्ट्री करवाने के बाद नामांतरण के लिए परेशान होते रहते हैं । क्यों कि इन कालोनियों में न तो टी एंड सी टी की अनुमति होती है ,न ही नक्शा और न ही डायवर्सन । जिससे लोगों को परेशानी होती है।
नगर की नर्मदा कालोनी इसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं जो तीन दशक होने के बाद भी विकास से कोसों दूर थी अब कहीं जाकर थोड़ा बहुत सुधार नगर परिषद ने करवाया है।
नुज़ूल की जमीन की रजिस्ट्रियां —
राजस्व विभाग के अंतर्गत आने वाली नुज़ूल की जमीनों, मकान, दुकानों की रजिस्ट्रियां भी मोटी रकम लेकर यह महाशय करते आ रहे थे। पिछले कुछ दिनों से बंद हुई है।
सीहोर जिला पंजीयक कीर्ति असाटी ने बताया कि जिले में उप पंजीयक के तीन और पंजीयक का एक पद रिक्त पडा हुआ है । विभागीय पत्राचार किया जा रहा है लेकिन अबतक
किसी को नहीं भेजा गया है। अन्य समस्याओं पर कलेक्टर महोदय से चर्चा की जाएगी।
नगर परिषद सी एम ओ प्रफुल्ल गठरे ने बताया कि हमारे संज्ञान में आते ही हमने नगरीय निकाय की रसीदों में पिछले छः माह से फेर बदल कर दिया है।
एस डी एम श्री एम एस रघुवंशी ने बताया कि
नुज़ूल की जमीन की रजिस्ट्रियां अवैधानिक है इस संबंध में शीघ्र कार्यवाही की जाएगी।
इस कार्यालय की यदि बारीकी से जांच की जाए तो बहुत कुछ फर्जीवाडा सामने आ सकता है।